जीवात्मा

अस्थायी  सबकुछ है मर्त्यलोक में,
है    अजर   -  अमर  यह  आत्मा,
अपनी  प्रेमासक्ति  मिटा दें जग से,
जबतक तन   - मन   है  जीवात्मा,
जबतक  तन  -  मन  है  जीवात्मा,
नित    विनयी    रहें   परमात्मा से,
कहते 'कमलाकर' हैं परमात्मा का,
है    स्थायी   संबंध  जीवात्मा से।।
    
कवि कमलाकर त्रिपाठी.


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