होला कासी में कजरी बिस्वनाथ के-
गौरी भूतनाथ के ना ।।
बा मसान पर हिन्डोल
बान्हे भूत आ भकोल
लागल बाँस गोल गोल
जेह-प बघवा के खोल
साजे भृड़्गी अ सृड़्गी सोमनाथ के-
रज भभूत लागे अंग
फुफुकारेला भुजंग
पीके गाँजा तुरी भंग
भोला होलें अड़भंग
सेवे बीरभद्र भैरव संभुनाथ के-
झुलुहा झूले अवधूत
मिलि झुलावे भूत दूत
संग में निसिचर के पूत
मेला लागलि अजगूत
भजे नंदी अ टुंडी भोलेनाथ के-
झूले गौरी आ महेस
संग मे कंतु आ गनेस
जटा गंग सीस राकेस
हँसे रामा आ रमेस
पूजे सुची संग सुरेस त्रयीनाथ के-
अमरेन्द्र
आरा