आज के युग की
सबसे बड़ी त्रासदी में
जी रहे हैं हम...!
समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों की
सुर्ख़ियों से निकलकर
जन - जन के मन मस्तिष्क में
समा गया है कोरोना!
रगों में दौड़ रहा...
आज इश्क नहीं,
कोरोना की दहशत!
... जो दूरगामी स्तर पर
लोगों के मनोविज्ञान पर
डालेगा नकारात्मक असर!
स्थिति बेहद चिंताजनक है...!
लोगों को खाए जा रहा है:
कोरोना का खौफ...!
लोग:
आइसोलेशन और
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
करें या ना करें...
दस्ताने और मास्क
पहनें या ना पहनें...
पर कोरोना पॉजिटिव का
कर देते हैं...
सामाजिक बहिष्कार!...
... बड़ी निर्ममता से!
जबकि
होती है जरूरत उन्हें
देखभाल और
भावनात्मक संरक्षण की...!
बड़ा ही घातक है
यह बहिष्कार :
एकता, सौहार्द्र और
सामाजिक समरसता के लिए!
घृणा, संशय और भेदभाव
की यह क्षुद्रता
लील जाएगी समाज को!
आज जरूरी हो चला है
इस पर करना :
समाजशास्त्रीय विमर्श!
डॉ पंकजवासिनी
असिस्टेंट प्रोफेसर