तन्हाई


तन्हाई से होती हैं मुलाकातें
जब मेरे संग रोती हैं रातें 


भूली बिसर रही थीं जो
वो दिल को कुरेदती हैं बातें


सूखी पड़ी मेरी दिल की ज़मीं जो
उसे भिगोती हैं तन्हाई की बरसातें


चरागे दिल करे रोशन तन्हाई से भरी रातें
न बुझती हैं अश्कों से प्यासी हैं वो रातें


सुकून देता है मेरे दिल को ये तन्हाई का आलम
मतलब भरे हुजूम में मैंने करनी नहीं बातें


अतुल तन्हाई का मेला लगता हर इक रात
रह-रह के याद आए दिल की हर इक बात


गम-ए-तन्हाई 'अतुल' तक़्सीम न करना
अहद-ओ-पैमाँ टूट जाते हैं एतिबार न करना 
@अतुल पाठक
जनपद हाथरस(उ.प्र.)
मोब-7253099710


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