सैनिकों की अमर हुँकार को कैसे मैं कोई क्रंदन लिखूँ


*यारों!राजनीति के गद्दारों को कैसे मैं अपना नमन लिखूँ।*
*सैनिकों की अमर हुँकार को कैसे मैं कोई क्रंदन लिखूँ।।*
*जो मुझे लिखना ही है राष्ट्र के अमर सपूतों की यश गाथा।*
*तो क्यों ना मैं मेरे सैनिकों को अभिनंदन लिखूँ।।*


*मैं जब भी लिखूं एक सैनिक की बहन का रक्षाबंधन लिखूँ।*
*मैं लिखूं तो मातृभूमि के ईक-ईक रजकण को चंदन लिखूँ।।*
*कलम का सिपाही मैं,कहता कलम का धर्म मुझे।*
*मैं जब भी लिखूं वंदे मातरम- जय भारती,भारत का जय जय गान लिखूँ।।*


*मैं फहराए अमर तिरंगा वो समूचा नीलगगन लिखूं।*
*मैं मेरी जाति ,धर्म-भाषा, पहचान मेरा वतन लिखूं।*
*लिखूँ मैं खातिर मातृभूमि हित बलिवेदी पर चढ़ने वालों के।*
*मैं जब भी लिखूँ अमर शहीदों का राष्ट्र-वंदन लिखूँ ।*
*मैं शहीदों का राष्ट्र-वंदन लिखूँ,मैं राष्ट्र-वंदन लिखूँ।।*


✍🏻मुकेश आचार्य, बिलाङा


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