राही और मंज़िल


मुश्किलें तमाम हों पर
छोड़ता नहीं आस है


मेहनत का तज़ुर्बा रखता
संग राही के दृढ़विश्वास है


राही न माने हार कभी
साथ चलतीं उम्मीदों की धार सभी


सरिता की गति न रुकती है
चाहे आएं पथ में कई चट्टान


नायाब मंज़िल तब मिलती है
जब भरता राही हौंसलों की उड़ान


@अतुल पाठक
जनपद हाथरस(उ.प्र.)
मोब-7253099710


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