व्यर्थ न होता पुरुषार्थ कभी,
औ न कभी होती है हार,
पुरुषार्थी जीवन में है सदा,
पाते हैं फल चार,
पाते हैं फल चार,
हैं धर्म - अर्थ - काम - मोक्ष,
कहते 'कमलाकर' हैं जीवन में,
यही पुरुषार्थ हैं, प्रत्यक्ष या परोक्ष।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.
पुरुषार्थ