प्रीत कभी तुम भी जतलाओ.


तुम कहते जब मैं हाजिर हूं,
तुम भी तो सूरत दिखलाओ.!!


मेरी प्रीत है सबके खातिर,
प्रीत कभी तुम भी जतलाओ.!!


हवा में ताली उड़ा थकी मैं,
दूजा पंजा तुम तो मिलाओ.!!


माना सभी व्यस्त हैं रहते,
कभी तो अपनी राय बतलाओ.!!


उम्मीद हमारी टूट न जाए,
दिखूं न मैं भी मत सिखलाओ.!!


माना बहुत श्रेष्ठ हो तुम सब,
पर चूरन से मत फुसलाओ.!!
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अर्चना भूषण त्रिपाठी "भावुक"@


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