बताऔं हौं प्रसंगु एकु आजु सुनो मित्रो मेरे,
नारियन सतीत्व भारतीयन खरा चोखा था ।।
मुनि बार एकु गये भ्रमण तीर्थाटन केरे,
आवैं जौ सज्जनु कोऊ सेवा भाव अनोखा था ।।
ब्रह्माणी रमा उमा ठानी तीनौ जाँचने की,
अनुसूय्या नारी का सतीत्व कैसा चोखा था ।।
भाखै कवि चंचल रूप साधू आये कामदेव,
देखी दिव्य दृष्टि मा ये होना केस धोखा था ।।1।।
ठानी देने शाप की नारी अनुसूय्या जब ,
भागा कामदेव औ त्रिलोक परा छोटा था ।।
तीनो घबरानी देवी गयी तब त्रिदेवन पास,
करजोरि बोलैं नाथ परखन नारि सोटा था ।।
तीनो देव पयान करैं धारि धारि रूप साधु,
आवैं सम्मुख नारी तब उदर भुखि जोटा था ।।
भाखै कवि चंचल सजावैं जेवनार नारी,
करैं इन्कार देव हीन वसन कोटा था ।।2 ।।
भाखै अनुसूय्या करजोरि तीनौं साधुअन ते,
कैसो संकल्प जामे नारी वसनहीन होवै ।।
मुला उठि भये जौ तयार तीनौ साधू जबु,
होवै अपमान पतिदेव मोर काव जोवै ।।
देखी दिव्य दृष्टि जबुआये यै त्रिदेव तबु,
बाल रूप कीन्हीं नारी पालना हू दुलरावै ।।
भाखै कवि चंचल सनाका खाय देवि तीनौ,
सतीत्व खरा चोखा द्वारे नारी नियरावैं ।।3।।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल
ओमनगर, सुलतानपुर, यूपी।।9125519009,8853521398 ।।