मेरे पापा


पितृ दिवस पर विशेष लघु कथा:                
दिन-प्रतिदिन... अंश की.... प्यारी-प्यारी बातें.... जीवन में मिठास
घोलती.... मुस्कराने के लिए पे्ररित करती रहती थी। अंश को बाल्यावस्था से चित्रकारी का शौक था। वो चित्र बनाता उसमें, पहाड़ पर चढ़ता आदमी बनाता। जब पहाड़ों पर जाते.... चढ़ने की जिद करता, कहता एक दिन हिमालय पर जाकर झण्डा
फहराऊँगा। उच्च शिक्षा.... हेतु.... अंश को दिल्ली.... भेजा कि शिक्षा के
साथ ट्रैकिंग की ट्रेनिंग लेता रहेगा। दूर रहते प्रत्येक ‘मदर्सडे’ पर... अपनी माँ को.... सुन्दर कार्ड के साथ फोन पर प्यार उड़ेलना न भूलता। ‘‘कमल! अंश दिल से प्यार करता... तबही प्रत्येक ‘मदर्सडे’ पर प्यार उड़ेल देता है।’’ ‘‘हाँ रीना! अच्छा बेटा बने... यही चाहता हूँ।’’ पर... अंश के लिए... रातों को जागा, स्कूल, काॅलेज प्रवेश के लिए भाग-दौड़ करता रहा.... सिर्फ माँ को याद करता है? सोचते कमल आॅफिस के लिए निकल पड़ा। आॅफिस की गोल मेज पर... आकर्षक लिफाफा व फूल देकर.... रहा न गया और उत्सुकतावश...  खोलकर पढ़ लिया, ‘‘प्रिय पापा! प्रणाम... कुछ दिन पूर्व
ट्रैकिंग अभ्यास के लिए.... टूर के साथ पहाड़ी स्थान पर गया... चढ़ाई प्रारम्भ की... घबराया, कि कैसे ऊपर जा पाऊँगा? अचानक आपके साथ शिमला जाने वाली सुखद घटना स्मरण आ गई कि हठ करने पर आपने मेरा हाथ थाम.... पहाड़ पर कदम बढ़ाना सिखाया बस उन्हीं यादों के साथ चढ़ता गया व प्रथम रहा।
पापा! तब आभास हुआ कि कैसे पिता बेटे को जमीनी गतिविधियों से परिचित करवाता भविष्य के लिए परिपक्व व सबल बनाता है। पापा! आज ‘फादर्सडे’ है.... उन बीते 25 वर्षों में व्यतीत किये.... सभी सुखद पल... स्मरण करता, एहसास होता कि आप मेरे लिए... दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो।
                                  आपका अंश


रश्मि अग्रवाल
वाणी अखिल भारतीय हिन्दी संस्थान
बालक राम स्ट्रीट
नजीबाबाद- 246763
(उ0 प्र0)
मो0 न0/व्हाट्सप 9837028700
Email. rashmivirender5@gmail.com


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