गरीबों को मिल जाता है सहारा,
अमीर भी होता है मतवाला
पिसकर रह जाता है मध्यवर्ग,
न रो सके गरीबों सा
न उछल सके अमीरों सा
मन में झंझावतों को दबाता,
खुद ही दब जाता है मध्यवर्ग।।
गरीबों को मिल जाते हैं भत्ते,
अमीर टैक्स चुकाते हैं
चिलचिलाती धूप में भी
रोजगार तलाशते हैं मध्यवर्ग
गरीब रूखी सूखी खा कर रह जाते हैं,
अमीर ऐशोआराम में जीवन बिताते हैं,
खुद रूखी सूखी खा कर भी
दूसरों को पकवान खिलता है मध्यवर्ग।।
गरीब रो देते हैं सबके सामने
अमीर अट्ठहास करते हैं
एकांत में अपने अश्रु बहाकर
सबके सामने मुस्कुराता हैं मध्यवर्ग।।
फिर क्यों दिखावे में रह जाता है मध्यवर्ग??
वर्षा शर्मा