कब तलक ये दृश्य दिखेगा......
रक्त बहेगा कब तलक ?.......
वीर जवानों की कुर्बानी......
ये देश सहेगा कब तलक ?......दू
देते मुखाग्नि.....
पिता के कांधे पुत्र का शव.....
माँ की आँखे पथरायी.....
ये सिंदूर मिटेगा कब तलक ?........
हर ताबूत की एक शौर्य कथा....
कहती एक कहानी है.....
एक गाँव की मीठी है यादें......
रिश्तों की एक निशानी है......
माँ के आँचल का टुकड़ा......
बहनकी राखी का बंधन......
पत्नी की आँखों से आँसू.....
बहता रहेगा कब तलक ?.....
जान तिरंगे में लिपटी..... ता
में सिमटी साँस यहाँ.....
खामोश पड़ी है वीर जवानी.....
ले हमसे आस यहाँ.....
बलिदान हमारा व्यर्थ न हो.....
कुछ ऐसा कर संकल्प.....
शांति -वार्ता और संयम की....
बात करेगा कब तलक ?...
.हर सीमा को तुम पार करो.....
हाथों को तलवार करो.....
घर में घुसकर दुश्मन की....
छाती पे चढ़कर वार करो.....
लहू रगो में खौल रहा है..... बच्चा-बच्चा बोल रहा है....
नहीं रूको अब कूच करो.....
यूँ सब्र करेगा कब तलक ?......??......
डाॅ0 अनीता शाही सिंह....
इलाहाबाद (प्रयागराज)