नवल आकार दूँगा!
मिल न पाया जो तुम्हें ,
उसे नवल आकार दूँगा!
प्रेरणा पाकर तुम्हारी,
शब्दों का उपहार दूँगा!
जो पवन में और मन में,
जो धरा में है गगन में!
जो क्षितिज के पार भी है,
उसे ही संचार दूँगा!
मिल न पाया जो तुम्हें,
उसे नवल आकार दूँगा!
अधरों पर मुस्कान भी हो,
प्यार का अनुमान भी हो!
गीत होंगे तभी मधुरिम,
जब उन्हें श्रृंगार दूँगा!
मिल न पाया जो तुम्हें,
उसे नवल आकार दूँगा!
जग भले ही व्यर्थ समझे,
मैंने उसके अर्थ समझे!
"यमुनेश्वरी"अनुभूतियों को,
मैं सतत प्रसार दूँगा!
मिल न पाया जो तुम्हें,
उसे नवल आकार दूँगा!
प्रेरणा पाकर तुम्हारी,
शब्दों का उपहार दूँगा!
:वल्लभ यमुनेश्वरी•
नैनपुर•जिला-मण्डला•मध्यप्रदेश•भारत•मो•06260041113•
गीत