गज़ल


"दिल दरिया ना आंख के पानी होला
ना जाने उ कब केकर कहानी होला
छिपावे के कोइ भी चाहे कबो केतनो 
हिया में इ त हरदम समाइल रहेला

मत पूछी की रात बात का-का भइल
आंख से आंख के साथ का-का भइल
कबहीनो हिया से सटल, कभी दूर होलें
कह दीं मुलाकात में अब का-का भइल

बुनी चुअत रहे रात भर पलानी भले
गुदरी में लुकायिल रहे जवानी भले
पर उड़ान त साँचहुँ महलिये के होला
बीतल रतीये के कहानी रहे त 
भले

दरद माटी पर लिखीं चाहे माटी से लिखीं
दरद के जोर से भले त रवानी हीं लिखीं
लिखीं जेतना दरद रउआ निरे भरल
तनीं नयनन के लोर के कहानी भी लिखीं,,,,,,,
********
© डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी
22 जून 2020 


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
श्री त्रिलोकीनाथ ब्रत कथा
Image