बेटी


स्वागत के साथ आने दो बेटी
घर-घर में भाग्य लाती है बेटी


मुस्काए तो लगती सुमन बेटी
अंधकार में उजाले की किरण बेटी


चिड़िया की तरह चहकती है बेटी
पढ़लिख कर इतिहास रचती है बेटी


निश्चल मन उसका नदी जैसा
नाज़ों से पालो परी होती बेटी


बेटे की तरह पढ़ाओ बेटी
कम न कभी आँको बेटी


सुख का नया सवेरा लाती बेटी
आशा का दीप नित जलाती बेटी


थककर आएं पिता जब घर पर
दौड़कर जलपान कराती बेटी


बड़े जब ध्यान न रखें अपना
खूब डाँट लगाती बेटी


~अतुल पाठक
जनपद हाथरस
(उत्तर प्रदेश)


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