उत्कृष्ट भाव है अपनी मानवता,
नित सेवा, सबका आदर करना,
माता - पिता- गुरु - अतिथि का,
कभी नहीं निरादर करना,
कभी नहीं निरादर करना,
ह्रास - हानि होती है जीवन में,
कहते 'कमलाकर' हैं आदर से,
सुख-समृद्धि मिलती है जीवन में।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.
आदर