विमान

 



लौह से निर्मित द्रुत गामिनी हवा से बातें करती है।


वायुयान जिसे कहते हैं आसमान में उड़ती है।
पलक झपकते मंजिल तक जो पहुंचा देती तीव्र चाल से।
तीव्र पवन के झोंको से भी तीव्र उड़ानें भरती हैं।
कितने भी हो घने बादल कितनी भी तेज हवाएं।
उजले घने बादलों को चीरती हुई अपने ही लय में ऊंची उड़ाने भरती है 
वैज्ञानिक को नमन है जिसने ऐसा यान बनाया।
पलक झपकते ही हम सबको दूर का सफर कराया।
सात समुंदर पार सभी को वायुयान पहुंचाती है।
चलती कितनी तेजी से पारियों के देश के जाती है।
जब हम सब छोटे बच्चे थे आसमान में उड़ता था।
तेज आवाज सुन कर जहाज का हम मचल मचल सब जाते थे।
सच कहती हूं तब जहाज को सपनों में देखा था।
चढ़ेंगे एक दिन सैर करेंगे कभी नहीं सोचा था।
आज ये वायुयान हमारे सेनाओं में शामिल हैं ।
दुश्मन पर प्रहार ये करते उनको धूल चटाते हैं।
वायुयान उड़ाने वाले वीरों को हैं शत शत नमन।
जान हथेली पर के कर दुश्मन को मार गिराते हैं।
उनके घर में घुस करके उनके है हस्ती मिटाते हैं।
नमन करूं उस वैज्ञानिक को जिसने वायुयान बनाया।
पालक झपकते हम सबको मिलों का तय सफर कराया।
नमन करूं उस पायलट को जो वायुयान उड़ाता है 
अपनी जान हथेली ले कर हमको मंजिल तक पहुंचाता है।
यही हमारी तीव्र कामना राष्ट्र मेरा विकास करें।
बेटियां भी तो अब इस क्षेत्र में हासिल निज मुकाम करें।
** मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)


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