बाद कितने ही साल आया तो,
उसको मेरा ख़याल आया तो।
मेरे वीरान दिल की मंडी में,
आज थोड़ा उछाल आया तो।
मेरी हालत पे उसके चेहरे पर,
उफ़ ये रंग ए मलाल आया तो।
बादलों से निकल के हिजरत के,
दिल की छत पर हिलाल आया तो।
गुल की बाहों में प्रेम का भँवरा,
हो के वापस निढ़ाल आया तो।
सोचती हूँ वो गुज़रे लम्हों को ,
अपने दिल से निकाल आया तो।
क्या करेगी 'शिखा'जो चाहत पर,
फिर से वापस ज़वाल आया तो।
दीपशिखा