तुम्हीं को मुबारक

 



चले हम चले हम
जहां माँ हमारी ,
यह माया की दुनियां
तुम्हें हो मुबारक।
जहाँ स्वार्थ के बीज
दिलों में हों उगते ,
वहां की जमीं आसमा
हो मुबारक ।।


गुजारी है हमने
घुटन में जवानी ,
किया मौत का
सामना दर कदम है ,
ना पहचाना माँ को
ना जाना पिता को,
फ़रेबी ए दुनियां
तुम्ही को मुबारक ।।


आवाज देकर 
पुकारी है मईया,
यशोदा मैं तेरी 
तू मेरा कन्हैया,
मेरे पास आ लौट
आ लाल मेरा,
जिगर का तू टुकड़ा 
जिगर में समाजा,
लुटाया जनम पर
 ना पाया अधेला,
 ए चकाचौंध दुनियां
 तुम्हीं को मुबारक ।।


मां के चरणों में
कोटि-कोटि प्रणाम
kavyamalakasak.blogspot.com


सुरेन्द्र दुबे (अनुज जौनपुरी)


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