आपसी रंजिश निकाली जाएगी ।
हैफ़ बे बाइ'स निकाली जाएगी ।।
कब हमें सूली चढ़ाया जाएगा ।
आख़िरी ख़्वाहिश निकाली जाएगी ।।
दौर-ए-मय चारा बनाकर बार'हा ।
ज़ह्न की काविश निकाली जाएगी ।।
और भी जाज़िब ख़ियाबां ज़ूद हो ।
क़ैद से नर्गिस निकाली जाएगी ।।
सोख़्त ग़र दिल की बुझा न पाए तो ।
दीद से बारिश निकाली जाएगी ।।
टूट कर जब 'मन' बिखर ये जाएगा ।
तब कहीं बंदिश निकाली जाएगी ।।
मनीष कुमार शुक्ल 'मन'
लखनऊ ।
हैफ़- अफ़सोस
बे बाइ'स- अकारण
चारा- औषधि, चिकित्सा, सहायता, उपाय
काविश- चिन्ता, फ़िक्र
जाज़िब- आकर्षक
ख़ियाबां- पुष्पवाटिका, फूलों की क्यारी
ज़ूद- शीघ्र, अचानक, तुरन्त
सोख़्त- जलन