व्यक्तित्व में होगा एक अदभूत निखार,
अगर जीवन में तुमने पाया रूहानी प्यार|
उदासियों के पतझड़ का वहाँ क्या काम,
जीवनसंगी में समझ की,जहाँ छायी बहार |
दो दिलों का विश्वास की सीमेंट से जुड़ाव,
वहाँ तो तरस ही जायेंगे,लाने वाले दरार|
मन से मन का बना लिया है गठबंधन,
कहने - सुनने की कहाँ होती है ,कोई गुहार |
अहसास की हरियाली का आह्लादित शकुन,
बरसे जहाँ परवाह की रिमझिम फुहार|
बिछ रहा है नजरों का,बस मायावी जाल,
बचा पाएगा साथी की वफाओं का एतबार |
रचनाकार -सीमा लोहिया
झुंझुनू (राजस्थान)