नाराज मित्र

तू ना हमार भइलs,त हम तहार कइसे।
दिल मे दरार बाटे कहs ना प्यार कइसे।।
तहरा घरे जो गइनीं,मिललs कबो ना हँसिके,
अइल जतावे नेहिया,हमरा दुआर कइसे।।
गिरि पावं पर मनवलीं,एतना बड़ सभा मे,
तबहु तु नाहि मनलs,मरलs लतार कइसे।।
चाही सुने के अरजि,सउदा गरज के होला।
करि के विचार कहि दs, हत बे विचार कइसे।।
कहलs की सगरे जग में,हमही प्रकाश देनी,
गरहन कवन लागल बा,तहरा अन्हार कइसे।।
           【【【आज मित्र 】】】
अइली ह माफी मांगें, कही का यार कइसे,
कुकर्म जेहिला कइली,देलसि दुत्कार कइसे।।
समझ ना का करी हम,कइसे जिहि का खाई,
दुधे के मक्खी कइलसि,हमरे हमार कइसे।।
          [ [ [ कुर्बान मित्र:-] ] ]
दुःख दर्द साथ देला,उहे हित मीत हउए,
हमरा जियत में जिनिगि,साथी बेजार कइसे।।
हमरा के माफ़ करि दs,अंजाने दिल दुखवनी।
बिना यार के दिवाकर,जिनिगि हमार कइसे।।


दिवाकर उपाध्याय 
रामगढ़,सिवान
9955759166


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