ईश्वर की लीला अजब.......
अद्भुत मायाजाल.......
आँधी भेजे बाद में.......
पहले भेजे पाल........
विश्व युद्ध से भी विकट......
कोरोना की जंग........
किस पर करे प्रहार जब......
. दुश्मन रहे अंनग........
सीमा पर लड़ते रहे.......
सैनिक लेकर शस्त्र......
जीतो इस संग्राम को......
घर में बैठे निरस्त्र.......
आपाधापी में कभी मिली........
न पल भर चैन.......
लाॅक डाउन समझा रहा......
. क्या होता दिन -रैन.......
सारे बंधन तोड़कर......
बनते थे आजाद.......
अक्ल ठिकाने आ गई........
कोरोना के बाद......
नदी, पवन आकाश, वन........
पशु-पक्षी संसार......
. सबने सुख की साँस ली.......
जैसे पहली बार......
नई दुल्हन सी लग रही.....
महानगर की रात.....
बच्चों को छत पर दिखी.......
तारों की बारात.......
सारा सुख तो दे रहा......
अपना भारत देश......
कहाँ जाएगा घूमने.......
बंजर हुआ विदेश.......
दुख-सुख जब जैसा मिला......
. झेला बन इंसान......
सारी दुनिया मानती.....
हमें भक्त हनुमान......
पुलिस -चिकित्सा में डटे.......
हैं असली भगवान....
आया है सो जाएगा......
राजा रंक फकीर....
कोरोना भी जाएगा......
पत्थर खींच लकीर........!!
डाॅ0 अनीता शाही सिंह
इलाहाबाद (प्रयागराज)