सुषमा दीक्षित शुक्ला
भारत में बेरोजगारी के चलते युवा भी दो श्रेणी में विभक्त हैं एक तो स्वावलंबी और दूसरे बेरोजगार । परंतु फिर भी कोरोनावायरस में जो भी जैसी स्थिति में है युवा वर्ग अपनी क्षमता के आधार पर सेवा भाव से परिपूर्ण होकर सबसे आगे डटे रहे एवं लोगों की यथासंभव मदद की।
हमारे युवावर्ग रक्तदान समिति सेवा कार्य में जुटे रहे ,आर्थिक मदद भी यथा संभव करने में युवा पीछे नहीं रहे। कोरोनावायरस की जंग मे मदद को डटे रहे युवा वर्ग द्वारा काफी सराहनीय कार्य किये गये जैसे जहाँ से कॉल आती ज्यादातर युवा मदद को निकल पड़ते ।युवा दान देते वक्त फोटो तक नहीं खिंचवाते रहे ।
हमारे युवाओं की टीम जरूरतमंद लोगों को राहत पहुंचाने का काम कर रही हैं इनका कहना है कि उन्हें कोई दिखावा नहीं करना ,उनका मकसद सिर्फ संकट के समय लोगों को राहत पहुंचाना है ।किसी को मदद मिलने पर उसके चेहरे पर जो मुस्कान खिलती है वही हमारे लिए काफी है ।
वैश्विक महामारी ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी ऐसे में यूथ मदद को आगे आए ,खाद्यान्न वितरण ,भोजन पैकेट वितरण मास्क ,सेनेटाइजर जिससे जो बन पड़ा वितरित किया ।मोबाइल नंबर के माध्यम से लोगों की डटकर मदद की , वह भी बिना किसी स्वार्थ के ।
बेरोजगारों को कोई सरकारी आदेश तो था नही और न तो नौकरी में आदेशित होकर वह ड्यूटी निभा रहे थे ,वह तो सिर्फ परमार्थ भाव से लोगों की मदद को कोरोनावायरस कहर मे आगे आए वह भी बिना किसी दिखावे के बिना फोटो खिंचवाने के और अपनी जान भी दाँव पर लगाते रही क्योंकि वायरस बहुत खतरनाक है जो किसी को भी चपेट मे ले सकता है ।
आज के ज्यादातर बेरोजगार युवाओ का भविष्य वैसे भी धुधंला था अब तो महामारी ने अवसर और भी कम कर दिये ।किसी के एग्जाम लटके है ,तो किसी की नौकरी लटक गयी।पढ़ाई भी अब on line तक सिमट कर रह गयी ।जो बाहर विदे पढ़ने गये थे वो किसी तरह महामारी प्रकोप से जान बचाकर वतन वापस आये हैं ।ऐसे मे अनिश्चित भविष्य को नजरअंदाज कर हमारे युवा कोरोना जंग मे डटे रहे और मिसाल पेश की जो कि काबिले तारीफ है ।
दूसरी तरफ जो रोजगार शुदा स्वावलम्बी युवा हमारे डॉक्टर्स ,लैब टैक्नीशियन, मेडिकल कर्मी पुलिस कर्मी पत्रकार ,सफाई कर्मी ,इस कोरोना महायुद्ध मे अपने प्राणों की परवाह किये बिना अपना तन मन धन लगा कर डटे रहे।महायोद्धा साबित हुए वे इस कोरोना जंग के ।
उनका योगदान नमनीय रहेगा ।
जो कुछ लोग सक्षम थे स्वावलंबी थे उन्होंने भी पैसे से भी लोगों की मदद की प्रधानमंत्री राहत कोष मे बहुत युवाओ ने पैसे जमा किये और एक मिसाल पेश की ।
तो कुल मिलाकर हम भी कह सकते हैं कि कोरोना की जंग में युवा आगे डटे रहे जबकि भारतीय बेरोजगार युवाओं के भविष्य का तो कोई अता पता नही है। नहीं यहां पर बड़ी जनसंख्या के कारण नौकरी मिलना तो भगवान भरोसे ही है। खुद के अनिश्चित भविष्य के बाबजूद युवाओं का कोरोना जंग मे आगे डटे रहना अति सराहनीय है , प्रसंशनिय है ।क्योंकि कोरोना की जंग में जिससे जो बन पड़ा वहाँ हमारे युवा मदद को आगे आए ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला