इश्क के समंदर में


#जाफ़रानीइश्क़ से


ख्वाब बनकर तेरी रातों में नजर आऊँगीं मैं!
भूलना चाहो भी तो पलकों में उतर आऊँगीं मैं!!


गज़ल बनकर तेरे होंठों पर गुनगुनाऊँगीं!
नज़्म सी रच तेरे सीने में सँवर जाऊँगी मैं !!


रजनीगंधा सी महकेगी मेरे यादों की गली!
खिले गुलाबों सीे तेरे तन पे मुसकुराऊँगी मैं!!


#शज़र सी बन तेरे मन को शीतलता दूँगी!
बनके तुलसी तेरी आँगन को महकाऊँगी मैं!!


नदी बन के उतरूँगी तेरे इश्क के समंदर में!
दिल की झील में कँवल सी खिलखिलाऊँगीं मैं!!


किरण मिश्रा #स्वयंसिद्धा
नोयडा


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