मेघा जो छाए
तृप्त हुई बसुधा
ग्रीष्म ऋतु में।
तपती धरा
पैदल मजदूर
अपने गाँव।
खुली खिड़की
घरों में रहकर
झाँके बाहर।
सूनी गलियाँ
चलरही है जंग
कोरोना संग
लॉक डाउन
कोरोना वायरस
पाँव पसारे।
सबके संग
कोरोना करता है
आँख -मिचौली।
वक़्त कठिन
मत हो परेशान
कट जायगा।
जीतेंगे जंग
वायरस से हम
माने न हार।
डॉ संगीता पांडेय"संगिनी"
(स्वरचित) कन्नौज