कैसा हुआ है कहर विश्व पर करोना का प्रहार।
क़ैद हुए सब अपने घर में बन्द है कारोबार।
एक दूजे से मिलने का जब वक्त नहीं होता था
हंस घुल मिल के रहते सब एक साथ परिवार
कुपित हुआ प्रकृति जब हुआ सब अस्त व्यस्त
बड़े बड़ों नें हार मान ली हुआ सभी कुछ ध्वस्त।
संयम रख कर के खुद पर ही नहीं मानना हार।
एक दिन मुंह की खाएगा ये खुद जाएगा हार।
घर में ही रह कर सबको सहयोग ये करना होगा
दूर से ही अभिवादन करना गले ना लगना होगा।
सुरक्षा के नियम पर चलना अपनी रक्षा करना
लॉक डाउन कायम है जब तक अपने घर में रहना।
विपदा की इस विकट घड़ी में हिम्मत ना जाना हार
नए तरीके से जीने की राह लो कर स्वीकार।
** मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)