एक_ग़ज़ल

 



उसने जब-जब  कोई   भी पैग़ाम   लिखा  होगा
कोरे   काग़ज़  पर   मेरा  ही  नाम   लिखा होगा


सबने   लिख्खा  होगा   जाने  कितने   ग्रन्थों को
राधा ने  तो  केवल  इक  घनश्याम  लिखा  होगा


उसको  अपना  होश   नहीं  वो   ठहरा   दीवाना
प्यार के  दुश्मन  ने उसको   बदनाम लिखा होगा


नाम   तुम्हारे     लिख्खे   होंगे   उसने  गीत  कई
ख़ुद को गुलचीं औ तुझको गुलफ़ाम लिखा होगा


जाने   उस   बेचारे   की   क्या   होगी    मज़बूरी
पीने की  जो  बात  चली  तो जाम  लिखा  होगा


                                               ब्रह्मदेव बन्धु


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