लोर से रोज एगो पाती हम लिखी ले
जिंदगी से पवनी ऊ थाती हम लिखी ले
भोर से लेके राती ले लिखी ले
लोर से रोज एगो पाती हम लिखी ले।।
मिल गईल सगरो लालसा हमर धूल में
कैसे बजर पर गईल अंचरा के फूल में
जवन बात पढनी ना कवनो स्कूल में
जिंदगी से रोज ऊहे बात हम सीखी ले
लोर से रोज एगो पाती हम लिखी ले ।।
ना जाने कैसे छूट गईल नेहिया लाग के
कच्चे धागे पर त कटार गिरल भाग के
दिन भर गुजरल भटकत -भटकत
रात सगरो बीतल अंंखियन में जाग के
दवा -दुआ कवनो काम ना अब आवेला
नसीब से मिलल ऊ माउर हम चिखी ले
लोर से रोज एगो पाती हम लिखी ले ।।
आरती आलोक वर्मा ।।