क्लास का सबसे चंचल बच्चा,
छोटी चौकोर सी खिड़की
पर आँखे ठहराए स्थिर है।
सबसे जिग्यासु ने सीख लिया है,
म्यूट बटन का उपयोग
स्कूल इन दिनों सिर्फ
प्रश्न और उत्तर है!
उनके कार्य पत्रकों में भरे जा रहें
आभासी रंगों के फूल तितलियाँ
नीला समंदर, आकाश, सतरंगी मछलियाँ,
बच्चे खुद बनना चाह रहे हैं
फूल ,तितली ,मछली
टकरा के लौट रहे हैं
खिड़की के दीवारों से मायूस
आँखों में पिंजर के परिंदों सी बेचैनी लिए
'कठिनाई 'शब्द
लिखते वक्त वे खुद ही बता रहें
उसका अर्थ।
उल्टी गिनती सीख लौटना चाह रहे
बीते तारीखों में ।
उनके स्कूल यूनिफार्म के धागे इन दिनों
उम्मीदों के इंद्रधनुष है
जिसे पकड़े वे जुड़ रहें हैं,
इस छोर से उस छोर
सपनों में ब्लैक बोर्ड पर चाक की खस खस
स्कूल ग्राउंड ,टिफिन की भागदौड़,
अपने बेंच के दखलदारी ,
न जाने कितने अनगिनत शोर हैं।
बीते रात सीने पर रक्खे
बन्द मुट्ठी में सूरज को पकड़े
बच्चे मीठी नींद में गुनगुना रहे
असेम्बली का गीत
" हम होंगें कामयाब एकदिन।"
सुनीता सिंह ..