बिपिन के दोहे


घृणा - द्वेष मन में  जहाँ ,बैठे  पैर  पसार।
वहाँ अमन की पीठ में,नश्तर दिया उतार।।1


पीकर बैठे लोग सब,नफरत वाली भांग।
खूँटी पर सद्भाव को ,दिया सभी ने  टांग।।2


सिसक रही इंसानियत ,घृणा हुई मुँहजोर।
हिंसा  ताण्डव  कर रही ,देखो चारों ओर।।3


हिंसा ने ऐसा लिखा,जख्मों का इतिहास।
सभी गैर से लग रहे,बचा न कोई खास।।4


जाति धर्म के नाम पर,ऐसा हुआ प्रयोग।
गम की चादर ओढ़कर,बैठे हैं सब लोग।।5
              डाॅ बिपिन पाण्डेय


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
श्री त्रिलोकीनाथ ब्रत कथा
Image