अपने जीवन की सांझ में मैंने भी इक आस का दीप जला रखा है**
तेरे ही लिये मैं ने इसे जमाने के तूफां से बचा रखा है ऐ जिंदगी**
ढलते रहे अरमां मेरे सांझ के साथ शबनम सी रोती रहीं रातें मेरी**
फिर भी तेरे इंतज़ार में मै ने खुद को बहुत बना रखा है ऐ जिंदगी**
****"उषा शर्मा त्रिपाठी