पूर्वांचल एकता समिति के प्रति
उदगार
चलो भाइयों प्रेम की ओर,
आपसी कटुता व वैमनस्य छोड़।
करो दिल से दिलों का जुड़ाव,
भर जायेंगे पुरातन घाव।
सब जानते कि " आत्मा " है पवित्र,
मन में है 'इर्ष्या', शरीर पर लगाते इत्र।
हर शख्स है अपने आप में अनमोल,
उसे इंसानियत के तराजू पर तोल,
स्वार्थवश इंसान का कभी अच्छा
तो कभी बुरा न बनाओ चित्र।
नित पूरब से निकलता दिवाकर,
हर ज़र्रे ज़र्रे से कहता आकर,
देखो तुम सबके लिए मैं जलता,
अहर्निश पूरब से पश्चिम चलता।
तुम भी चलो होकर एक,
शुद्ध करो मति,
तुम हो देश की निधि,
तेरा नाम- "पूर्वांचल एकता समिति"।
-- विनोद--