शहद-बूँदों सी रसभरी हो जिन्दगी
फूलों सी सदा महकती हो जिन्दगी
मुश्किलें राहों में चाहे हो कितनी
ऊँचाइयों को सदा छुती हो जिंदगी
दरिया में चाहे गहराई हो कितनी
साहिलों को सदा छुती हो जिंदगी
जमाने की खुशियों से भरी हो झोली
परेशानियों से कोसो दूर हो जिंदगी
जफाएं ना कमाएं किसी के लिए
वफाओं से सदा भरपूर हो जिंदगी
मधुप बन कर के बनाएं शहद बूंदे
मधु सी मधुरता से भरपूर हो जिंदगी
ठूंठे आम सा कहीं ना बने जीवन
फल फूलों सी हरी-भरी हो जिन्दगी
सुखविंद्र रहे तन्हाइयों से दूर सदा
लहरों सी लहराती हुई हो जिंदगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)