जन्म" होते ही ,मां की गोद से बड़ा सुकून और कहां...!!
"बचपन" से बड़ा आज़ादी व खुशी और कंहा !!!
"जवानी" से सुंदर, "जीवन" और कहा !!!?
पर, "मध्यवयस्क" बहुत भारी ..!!
इसकी कामयाबी में ही छुपा हैं जिंदगी सारी...।।
जीवन की प्रतिबिंब इसी पड़ाव में नज़र आती।।
कर्म और कर्मफल की तराजू में उलझ जाती नियति...!!
फिर " बुढ़ापा" किसी को खुशियां ,तो किसी को"दर्द" देता।
और "मौत" वक्त_बेवक्त आकर सबसे दूर ले जाता..!!
और, फिर से ,"जीवन" लौट आता ....
एक नया जनम ..,
एक नया चेहरा नज़र आता...🤔
#मितु_घोष