कडवाहट नासूर जलन जो मिली
जिन्दगी में तोफे के रूप मै
आज उन सब को पिघलाना चाहती हूँ
हाँ आज तेरे कन्धे पर सर रख कर रोना चाहती हूँ
तुझ से मिली बेक़रारी दुनियाँ ने दिये गम
एहसास -ए-जज्बात हुये जिन्दगी मे कम
आज तेरे कान्धे से लग कर उन्हे खुशी मे बदलना चाहती हूँ
हाँ आज तेरे कन्धे से लग कर रोना चाहती हूँ
मेरी बेबसी मैरी चाहते मेरी ख्वाहिशे
मेरी जूत्सजू मेरी उलफते मेरी बन्दगी
उन सब को पाना चाहती हूँ
हाँ आज तेरे कन्धे से लग कर रोना चाहती हूँ
तेरा कान्धा तेरा प्यार तेरा इजहार-ए इकरार
तेरा साथ हाथो मे हाथ
तसल्ली से तेरे साथ वक्त गुज़ारना चाहती हूँ
हाँ आज तेरे कन्धे से लग कर रोना चाहती हूँ
बस रोना चाहती हूँ
मीनू