समाज के बिंदिया
भोजपुरी में बिंदिया लिख भइनी समाज के बिंदिया।
तब जाके आइल साहित्य में अमन चैन के निंदिया ।।१।।
रउआ माई के आॅचर तऽ भर दिहनी खुशहाली से ।
इ साहित्य भी चमक उठल जस भोर किरिन के लाली से ।।२।।
'बिंदिया' पढ़के फुटल सुनीं जब उपन्यास के धारा।
एहू विधा में पाॅव जमल,जगलें भोजपुरिया सारा ।।३।।
'इमरितिया काकी' 'महेंदर मिसिर' जस रचना खूबे रचाइल ।
भोजपुरी के सभी विधा में, बड़ी सफलता आइल ।।४।।
हिंदी में स्थापित रहनी काहला पर गुरूजन के ।
भोजपुरी के सेवा में रखनी आपना तन-मन के।।५।।
भोजपुरी ही माई, बड़की मउसी हिंदी बाड़ी।
एह दूनो के सेवा में रउआ त रहीं अगाडी ।।६।।
रउआ यश के कीर्ति हमसे गवले नाहीं गंवाई।
शिक्षा अउर समाज से जूड़ल केतना काम गिनाईं ।।७।।
दसो नोहवा जोड़ के हमहूं आपन शीश झुकाइले ।
सारधा के कुछ आपन फुलवा
चरणन भेंट चढ़ाइले ।।८।।
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बिजेंद्र कुमार तिवारी
बिजेंदर बाबू
ग्राम:- गैरतपुर
पोस्ट:- घोरहट मठिया
थाना:- मांझी, सारण
मोबाइल नंबर:- 7250299200