आलोकित पथ के कंत तुम्ही , पथ दुर्गम हो तो क्या होगा !
पथ में काँटे तो होंगे ही , पर दर्द बड़ा न्यारा होगा ।।
अनुमान सत्य ही होता है
परिभषित मन की खाई में
आशाएँ भी तो उठती है
जीवन की नव अंगड़ाई में
तुम साथ चलोगे तो हर पथ , पहले से भी प्यारा होगा।
पथ में काँटे तो होंगे ही , पर दर्द बड़ा न्यारा होगा ।।
कुछ मानव की त्रुटियां ही थी
कुछ प्रश्न बोझ सम लगते थे
साहस की डोरी हल्की थी
कुछ उत्तर मन ही रहते थे
वो उत्तर मन से निकलें तो , अभिमान किनारा ही होगा।
पथ में काँटे तो होंगे ही , पर दर्द बड़ा न्यारा होगा ।।
अपनी रुचियों का त्याग किया
रुचियों को तुम्हारे अपनाई
तब जाकर के सर्वस्व समर्पित
प्यार तुम्हारा पा पाई
उस सत्य प्रेम की वीणा का, रसपान सहारा ही होगा।
पथ में काँटे तो होंगे ही , पर दर्द बड़ा प्यारा होगा ।।
वंदना सिंह 'त्वरित'