भिखारी ठाकुर [ 1887 - 1971 ] महान लोक गायक : जयंती पर विशेष





 




 

 

 


 

 

 





साभार आखर परिवार

विमलेन्दु कुमार पाण्डेय







महान लोक कलाकार , सुप्रसिद्ध नाटककार आ साहित्यकार , सांस्कृतिक योद्धा , भोजपुरिया माटी के लाल भिखारी ठाकुर जी के जयंती प आखर परिवार अपना एह महानायक के बेर बेर नमन क रहल बा वंदन क रहल बा ।


जानी कुछ एह महानायक के बारे में एह कुछ स्लाइडन के माध्यम से नीचे दिहल जानकारी के माध्यम से !


भिखारी ठाकुर ( संक्षिप्त परिचय )


" आखर परिवार अपना सांस्कृतिक नायक , साहित्य के धुरि , लोकगीत , लोक-भजन के शान भिखारी ठाकुर जी के उँहा के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बड़ुवे । "


लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के जन्म 18 दिसम्बर 1887 में बिहार के सारण जिला के कुतुबपुर गांव में भइल रहे । अपना जनम प भिखारी ठाकुर लिखत बानी कि -


बारह सौ पंचानवे जहिया , सुदी पूस पंचिमी रहे तहिया ।
रोज सोमार ठीक दुपहरिया, जन्म भइल ओहि घरिया ॥


अपना जीवन चरित के बारे में भिखारी ठाकुर जी लिखत बानी कि 8 बरिस ले ' नहोशी' में बीतल , नउवा साल पढे खातिर पाठशाला गइनी बाकि साल भर में ' राम गति ' लिखे ना आइल आ फेरु पढाई छोड़ देहनी । फेरु सरेही में गाई चरावल आ अपना जातिगत पेशा , लोगन के हजामत बनावल , इहे काम रहि गइल रहे । गांवही के बनिया के लइका भगवान से कुछ पढे के सीखला के बाद , रामायण के काथा में ढेर मन लागे लागल । ओकरा बाद कमाई खातिर खड़गपुर - कलकत्ता । ओजुगा दिन मे हजामत बनावल आ रात खा रामलीला देखल । रामलीला से मन में तमाशा के इच्छा जागल । जगन्नाथपुरी घुमला के बाद जब वापसी कलकत्ता भइल त संघतिया के गठरी में रामचरितमानस मिलल । ओहि के पढे में मन लाग गइल । ठाकुरद्वारा से खड़गपुर आ एहि बीचे रामायण के पाठ ( रामचरितमानस ) ।


फेरु वापसी गांव खाति भइल । गांवे अइला के बाद जेकरे से होखे ओकरे से कवित्त , छन्द , गीत , श्लोक सीखे पढे लगले । ओहि क्रम में खुद लिखहूँ के कोशिश होखे लागल । कैथी लिपि में भोजपुरी भाषा में रचना होखे लागल । ओहि घरी महेंदर मिसिर के घरे आवा-जाही शुरु भइल । गांव के संघतियन के सलाह प गांवही में कागज के मुकुट क्रीट बना के रामलीला शुरु हो गइल । ओहि घरी हमार बिआहो हो गइल रहे । बाद में अइसहीं रामलीला करत करत नाच पाटी बन गइल । घरे के लोग नाच पाटी से खुश ना रहे मना करत रहे बाकिर मन ना मानल आ नाच पाटी शुरु हो गइल । राम-कृष्ण के जय बोल के दोहा चौपाई कहिके उपदेश देत रहनी ।


ओह घरी भिखारी ठाकुर के नाच गाना बजाना कुछ के जानकारी ना बस , भोजपुरी में राम-कृष्ण के बारे में उपदेश । अपना तरिका से अपना भाषा में आपन बात कहत । माई भगवती के किरपा से नाव सगरे फइले पसरे लागल । नया-नया सृजन होखे लागल ।


भोजपुरी के समर्थ लोक-कलाकार , सामाजिक कुरितियन प अपना नाटकन से बरिआर चोट करे वाला लोकगीत , लोक भाषा के असली साधक रहले भिखारी ठाकुर । अपना समाज के धार्मिक , आर्थिक , पारिवारिक , सामाजिक चीजन के बहुत गहिर समझ राखत रहले , एहि वजह से हर चीझू के अपना नाटकन में उचित आ सही रुप दे के एगो सटीक अंजाम तक पहुंचवले बा‌डे । अतने ना लोकभजन , भक्ति-भाव , गंगा से जुड़ल भक्ति गीतन के एगो नया उंचाई मिलल बा भिखारी ठाकुर के रचना आ लेख से ।


भिखारी ठाकुर सम्पुर्ण कलकार रहले ह , लेखक , साहित्यकार , गीतकार , स्क्रिप्ट राईटर , अभिनेता , नर्तक , संवादी , निर्देशक यानि कि मय कला से भरल-पुरल । जन-चेतना खातिर ना खाली भक्ति बलुक हास्य व्यंग्य गाभी टिबोली के संगे संगे लोक से जुड़ल हर छोट से छोट बड़ से बड़ बात के सहारा ले ले बा‌डे भिखारी ठाकुर ।


दलित उत्थान , नारी उत्थान प भिखारी ठाकुर के प्रस्तुति अदभुत बा । भिखारी ठाकुर के मातृभाषा भोजपुरी ह । उ भोजपुरी के ही अपना काव्य आ नाटक के भाषा बनवले बाड़े । भोजपुरी गद्य में पुरहर काम भिखारी ठाकुर कइले बा‌डे । भोजपुरी भाषा में साहित्य के हर विधा में गोट काम भिखारी ठाकूर कइले बा‌डे ।


भिखारी ठाकुर के नाटक , उँहा के लिखल गीत भोजपुरिया समाज ही ना , भारत देश ही ना बिदेश में ले आपन एगो अलग स्थान बनवले बड़ुवे आ भोजपुरी भाषा साहित्य के विकास में आजुओ भरपुर योगदान दे रहल बड़ुवे ।


भिखारी ठाकुर के बारे में कुछ बड़हन साहित्यकार लोगन के कथन -


हमनी के बोली में केतना जोर हवे , केतना तेज बा - ई अपने सब भिखारी ठाकुर के नाटक में देखीला । भिखारी ठाकुर हमनी के एगो अनगढ हीरा हवे । उनुका में कुलि गुन बा , खाली एने-ओने तनी-मुनी छांटे के काम हवे ।


-राहुल सांकृत्यायन


भिखारी ठाकुर वास्तव में भोजपुरी के जनकवि बा‌डे । उनुका कविता में भोजपुरी जनता अपना सुख-दुख , नीमन-बाउर के सोझ आ साफ रुप में देख सकेले । गांव से जुड़ल विषयन प ठेठ आ टकसाली भोजपुरी में लिखे में भिखारी ठाकुर सिद्धहस्त बा‌डे ।


-डा. उदय नारायण तिवारी


उ ( भिखारी ठाकुर ) कइ गो नाटक समाज-सुधार -संबंधी लिखले बा‌डे । उ एगो नाटक मंडली बनवले बाड़े जवना के धुम भोजपुरिया जिला आ भोजपुरियन के बीचे खुबे बा ।


-दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह


जनता के चीझू के जनता के सोझा , जनता के मनोरंजन खातिर , प्रस्तुत क के भिखारी ठाकुर बड़ लोकप्रियता पवले । सांच त इहे बा कि खाली इ एगो आदमी , भोजपुरी के जतना प्रचार कइले बा , ओतना प्रचार शायदे केहू कइले होखे । भोजपुरी प्रदेश में भोजपुरी कविता आ भोजपुरी नाटक के धूम मचा देबे वाला एह नाटककार आ अभिनेता के भोजपुरी भाषा के प्रचार प्रसार में सबसे बेसी योगदान बा ।


-डा. कृष्णदेव उपाध्याय


उ ( भिखारी ठाकुर ) सही माने में लोक-कलाकार रहले , जे वाचिक / मौखिक परम्परा से उभर के आइल रहले बाकिर उनुकर नाटक हमनी के सोझा मौखिक आ लिखित दुनो रुप में बा । उ एगो लोक-सजग कलाकार रहले , खलिहा मनोरंजन कइल उनुकर मकसद ना रहे । उनुकर हर कृति कवनो ना कवनो सामाजिक विकृति भा कुरिति प बरिआर चोट करत बड़ुवे आ अइसन करत घरी उनुकर सबसे चोख हथियार बड़ुवे व्यंग्य ( गाभी / टिबोली ) ।


-डा. केदार नाथ सिंह


भिखारी ठाकुर के प्रकाशित रचना !


भिखारी ठाकुर में अदभुत प्रतिभा रहे । उ मूल रुप से कवि रहले , गीतकार रहले , आ बहुते सुरीला उ गावतो रहले । बेहतरीन अभिनय के क्षमता रहे उनुका में । नाटकन के संवाद के रचना उ करत रहले । नाटक के पात्रन के संगठित क के ओह लोगन के अभिनय , गायकी आ नाचे के प्रशिक्षणो देत रहले । साज आ संगीत के जुड़ाव उ देखत रहले । भोजपुरी भाषा में , कैथी आ देवनागरी लिपि में उ लिखतो रहले । उनुकर कुल्हि 29 गो किताब / रचना प्रकाशित भइल रहे ।


1- बिरहा बहार
2- राधेश्याम बहार नाटक
3- बेटी-वियोग नाटक
4- कलियुग प्रेम नाटक
5- गबरघिचोर नाटक
6- भाई-बिरोध नाटक
7-श्री गंगा स्नान नाटक
8- पुत्रबध नाटक
9- नाई बहार
10-ननद-भौजाई संवाद
11-भांड़ के नकल
12-बहरा-बहार नाटक
13-नवीन बिरहा नाटक
14-भिखारी शंका समाधान
15- भिखारी हरिकीर्तन
16- यशोदा सखी संवाद
17- भिखारी चौयुगी
18- भिखारी जै हिन्द खबर
19- भिखारी पुस्तिका सुची
20- भिखारी चौवर्ण पदबी
21- विधवा-विलाप नाटक
22- भिखारी भजनमाला
23- बूढशाला के बयान
24- श्री माता भक्ति
25- श्री नाम रतन
26- राम नाम माला
27- सीताराम परिचय
28- नर नव अवतार
29- एक आरती दुनिया भर के


एकरा अलावा कुछ छुटकर फूट नोट हेने - होने कापी कागज के टुकी प लिखाइल रहे ।


बिहार राष्ट्रभाषा परिषद " भिखारी ठाकुर रचनावली " नाव से भिखारी ठाकुर के रचना / लेख के एक जगहा प्रकाशित कइले बड़ुवे । बिहार राष्ट्र भाषा परिषद भिखारी ठाकुर के रचना के दु भाग में वर्गीकरण कइले बड़ुवे -


लोकनाटक -


1- बिदेसिया
2- भाई-बिरोध
3- बेटी -बियोग
4-विधवा -बिलाप
5- कलियुग प्रेम
6- राधेश्याम बहार
7- गंगा - स्नान
8- पुत्र-बध
9- गबरघिचोर
10- बिरहा - बहार
11- नकल भाड़ आ नेटुआ के
12- ननद भउजाई


भजन - कीर्तन - गीत - कविता


1- शिव - विवाह
2- भजन कीर्तन - राम
3- रामलीला गान
4- भजन कीर्तन - कृष्ण
5- माता भक्ति
6- आरती
7- बूढशाला के बयान
8- चौवर्ण पदबी
9- नाई बहार
10- शंका समाधान
11- विविध
12- भिखारी ठाकुर परिचय


नमन सास्कृतिक योद्धा के !


जय भोजपुरी जय भिखारी





 



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