ये जीवन है संघर्ष और ,
संघर्ष ही जीवन।
संघर्ष से सींचा हुआ,
यह सुंदर उपवन।
मानव दुर्लभ तन पाकर,
इस जग में आया।
सफल उसी का जीवन,
जो मंत्र संघर्ष का अपनाया।
यज्ञ संघर्ष का तपा,
यह मानव का जीवन।
गढ़ता वह स्वयं को,
बन जाता है कुंदन।
नाम वही जग में,
अमर अपना करता है।
जो संघर्ष सोपान पर,
नित - नित चढ़ता है।
मत सोंचो है राह कठिन,
संघर्ष बड़ा है।
देखो भाग्य का सूरज तेरे,
द्वार खड़ा है।
डॉ उषा किरण
पूर्वी चंपारण, बिहार