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अनुपम खुशबू अली प्यार की ,चहुदिश फैली आज।
लागी ऐसी लागी मोहन , आती मुझको लाज ।।
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व्यर्थ वेदना जब भी घेरे , करती तुझको याद ।
श्याम सलोना मुखड़ा देखूँ, मिट जाता अवसाद ।।
दिल की बातें छुपी कहाँ थी , जान गए सब राज ।
लागी ऐसी लागी मोहन , आती मुझको लाज ।।
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स्वप्न लोक सी दुनिया अपनी, अद्भुत लगता गेह।
चंदन की डाली सा महके , हम दोनों का नेह ।।
कभी अगर जो रूठे हमसे , हो जाऊँ नाराज ।
लागी ऐसी लागी मोहन , आती मुझको लाज ।।
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रखना अपनी ही छाया में , जैसे तरुवर शाख ।
टूटे ना यह रिश्ता अपना , आये कंटक लाख।।
उपवन की चिड़िया सी चहकू,बनकर मैं परवाज़।
लागी ऐसी लागी मोहन , आती मुझको लाज ।।
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अर्चना लाल
जमशेदपुर झारखंड