उसे तो बियर से प्यार

गुलाबी मौसम की आई बहार


हनी सी मीठापन,रहें होशियार
प्रीत बढ़  रही अधरों  से इतनी
कि कोल्ड क्रीम की हुई दरकार ।


इश्क आशिक़ाना व दिल दीवाना
दिन  में चढ़ रहा, रातों  का खुमार
होंठों पर कॉपी पेस्ट लाली की देख
 बुढ़ापा मचले जैसे दबी राख में अंगार।


  सर्द मस्तानी रात,चाँद लगे जलने
  सूरज  हुआ मध्धम, कमरी पसार
  धड़के जियरा कैसे करे वो इजहार
  सांसे  कहे, उसे तो  बियर  से प्यार ।



       ✍️......सुरेश वैष्णव  भिलाई (छत्तीसगढ़)


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