पलकों के तने शामियाने में,
ख्वाबों को सजाया तुम्हारे लिए |
मेरे ख्वाबो से तु निकल ना जाए,
चिलमन गिराए है तुम्हारे लिए |
ढाल लिया है मेरे अशआरों में,
मैने गजल लिखी है तुम्हारे लिए |
बेताबियों की चाल बढती जाए ,
मेरी भूज बनी हार तुम्हारे लिए |
हिये में प्रेम -धुन की बजे सरगम
श्वास- प्रश्वास स्पंदन तुम्हारे लिए |
सजा है एक अहसासों का उपवन,
अनुभूतियों की कुक तुम्हारे लिए |
फैला है उर में हसरतों का समुद्र ,
इसका हर आह्वान तुम्हारे लिए |
स्वरचित ,मौलिक रचना -सीमा लोहिया
झुंझूनू (राजस्थान)