मन के मन गरीब कीने, अमीर कीने पाव में,
एसी तले किसान खटे, नेता खटे ताव में।
धुरूत कहाँ टेढ़ ना चलेला,चले सदा सोझ राह,
बा कठीन सीधा मनई के, लगा लेगल थाह।
गउ जस सुभाव जेकर, रहत हरदम ताव में,
एसी तले किसान खटे, नेता खटे ताव में।
अनपढ़े के नू मोल बा,पढ़ल लिखल छिछियाता,
जेने देखीं ओने, रोजी रोजी चिल्लाता।
लंदन में लोग दिन कटावे, दाम क अभाव में,
एसी तले किसान खटे, नेता खटे ताव में।
परमार्थी लूटत बा देश, स्वार्थी संगोरता,
गुड़ के रखवार चिंउटा, मांस सियार अगोरता।
असल हीत नीमक रगड़े पसर के पसर घाव में,
एसी तले किसान खटे, नेता खटे ताव में।
टेढ़ चल लोग लजग जीते, सोझ वाला हारे,
आपन बेरा पार लगी, शिव शंभु का सहारे।
कर पर करऽ भरोस पैनाली घोंटऽ जनि फाँव में,
सभकर दरद तूँ बुझ जइबऽ,खटऽ एक दिन ताव में।
दिलीप पैनाली
सैखोवाघाट
तिनसुकिया
असम
9707096238