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साठा का पाठा के, कहानी गज़ब बा,
अनुभव से भरल जिनगानी गजब बा।
हारल ना अब तक का दउड़ धूप से,
देखी के जवनकु का हैरानी गजब बा।
हर महफ़िल के नजर इनहीं प टीके,
एह बात से सबका परेशानी गजब बा।
मान ल तूं इनकर हस्ती दिल खोल के,
प्रतियोगिता कइला में नादानी गजब बा।
डेगे डेग तोहके देखावस उ रहीया,
तोहरा पर उनकर ई मेहरबानी गजब बा।
संजय कुमार ओझा
गांव+ पोस्ट : धनगड़हाँ,
जिला : छपरा, बिहार
पेशा : इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
वर्तमान निवास : गाजियाबाद, उ. प्र.
सनेस: भोजपुरी के जुबान पर नाहीं दिल में राखीं, जुबान पर अपने से आ जाई।