-भूपेन्द्र दीक्षित
सच्चा लेखक कभी बिकता नहीं ,न सम्मान के लोभ में, न पुरस्कार के लोभ में और न किसी विभूति के लालच में। कलम की सच्चाई को खरीदा नहीं जा सकता। देखिए यह गजब की कविता। इसको कविता कहते हैं-
वो आपका सब कुछ…..
सब कुछ…!!!
अपनी तरह का चाहते हैं
आपकी भाषा..
आपके शब्द..
आपके तेवर..
आपका गुस्सा..
आपकी बगावत..
यहाँ तक की आपके बोलने का अन्दाज़ भी
गोया आप उनकी देहरी पर बँधे कुत्ते हैं !
गर उनके जूँ लगे कानों में हमारी आवाज़ पहुँचे
गर उनकी पाखण्डी निर्बुद्धिता कुछ देर को
त्यागे अपना दकियानूसी प्रलाप
तो हम यह बताना चाहते है
उसूलों की लड़ाई में
इश्तेहारी समझौते नहीं होते
बात जब किसी के हक़ की हो
तो कोई बीच का रास्ता नहीं होता
सिद्धान्तों की सौदेबाज़ी नहीं होती
सत्य कहने वाले शब्द बिकते नहीं है !(महाभूत चंदन राय)