पुष्प लता राठौर
शिक्षा -एम. ए -हिंदी ।एम. ए.-संस्कृत ।
बी.एड।एम . एड।
संगीत -प्रभाकर ।
रूचि -लेखन -कविता .कहानी संस्मरण ।इत्यादि
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित ।
रेडियो .दूरदर्शन में सक्रिय भागीदारी ।
हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार
शिलांग में नोकरी का अनुभव ।अध्ययन में रुचि ।
नाटक मंचन ।आदि अनुभव
बेटी का अस्तित्व ।
कोख जब छोङ के दुनिया में माँ की आयी थी ।
थपकियाँ देती फिर जी भर के मां खिलाती थी ।।
नींद से जागकर भी लोरियाँ सुनाती थी ।
गीले कपड़े पलट छाती पे रख सुलाती थी ।।
एक ही कोख से जन्मी हूँ भरम कैसा है ।
भाई और मेरी परवरिश में फर्क कैसा है ।
सोचती रह गई मन का भरम मिटाऊंगी ।
सारी ज़न्नत का सफ़र एक दिन कराऊंगी ।
मां तेरे दूध का वो कर्ज मैं चुकाऊंगी ।
चांद पे जाके एक दिन तुझे दिखाऊंगी ।।
सच्चे सपनों का एक स्वर्ग मैं बनाऊँगी ।
भारत रत्न ले सम्मान घर में आऊंगी ।।
बस यही स्वप्न मेरे दिल कही पलता रहा ।
धान की पौध सा नसीब भी बदलता रहा ।।
बीज के रूप में स्वरूप मेरा खोपा गया ।
उसे उखाड़के अन्यत्र कहीं रोपा गया ।।
मेरा अपना ही घर पराये जैसा लगने लगा ।
भाई दुल्हन सजा डोली उठाके चलने लगा ।।
साल दर साल फिर जीवन उसी में ढलने लगा ।
उसी परिवार में अस्तित्व अपना पलने लगा ।।
स्वरचित पुष्प लता राठौर