तुझे चाहत नहीं मुझसे कोई बात नहीं
तेरे हिस्से की चाहत भीतुझ से मै रखती हू
करती हूं तुझे महसूस मै हर पल हर क्षण
तुझसे मै मोहब्बत बेइंतहा करती हूं
तुझे चाहत नहीं मुझसे कोई बात नहीं
तेरे हिस्से की मोहब्बत भी तुझसे मै रखती हूं
तुम ही हो मेरे जिस्म मेरे रुह में
रोम रोम में तुझे महसूस करती हुई
साथ तुम हो बस इसी पर इतराती फिरती हूं
तुझे चाहत नहीं है मुझ से कोई बात नहीं
तेरे हिस्से की चाहत मै तुझ से रखती हू
होते हो जो ख्वाब में रात भी बहक जाती हैै
आते ही ख्याल तेरा महक जाता है तन और मन मेरा
तुझे चाहत नहीं है मुझ से कोई बात नहीं
तेरे हिस्से की चाहत भी तुझसे मै रखती हूं✍️
गीत शैलेन्द्र
मौहब्बत