जइसे भोजपुरिया क्षेत्र में रामायण भा ऐतिहासिक काण्ड ( द्रौपदी कांड , जयद्रथ बध , अभिमन्यू बध , उत्तरा कांड , कंस बध , आल्हा उदल आदि ) प दुगोला होत रहे / होला ठीक ओइसहीं बनारस में पहिले कजरी के दंगल होत रहे । जइसे दू गो आखाड़ा के बीचे दंगल होला ओइसही कजली / कजरी के दंगल । यानि की गीत के माध्यम से जबाब सवाल ।
आमने सामने वाला मरदाना रही आ प्रसंग में जदि मेहरारु मरदाना के बीचे सवाल जबाब बा त एगो टीम मेहररुवी अंदाज में जबाब दिही । सवाल जबाब के दौरान जरुरी नइखे कि गीत कजरिये भा झूमर रही बाकि गीत के मूल केंद्र कजरी भा झूमर रही । गीतन मे फुहरपन से बेसी गाली गलौज क जगह मिलेला बाकि क जगह बहुत बरिआर आ एकदम ठेठ लउकेला ।
अइसहीं एगो कवि रहले बनारस के " कैद " कवि जे " सेखा शायर " अखाड़ा के शिष्य रहले । कैद कवि के एगो झूमर बा जवन मेहरारु के जबाब के रुप में बा , ओहि झूमर के कुछ अंश ( कवि और काव्य से ) -
( मरदाना के जबाब हो चुकल बा ओह प मेहरारु के जबाब झूमर के माध्यम से दिआता , जवन कैद कवि देत बाडे )
मेहरारु के जबाब -
माटी मिलऊ तोहार , लेबै जुल्फी कबार
हमसे करब छेड़खानी कजरिया में ॥
तोहरे अइसन हजार , करै नोकरी हमार
काहे आग लागल तोहरी नजरिया में ॥
चौक-
गारी अइसन सुनाइब , कबो लगवो न आइब
महामाई परे तोहरे चुनरिया में ।
हैकल हसुली हमैल देबै ठउना ले ठेल
लात मारब चार पनवाँ-सिकरिया में ॥
चोली पटने के दऊर मोर तलवा के धूर
तोरे चाकी मारे चांदी के कटोरिया में ।
दूध हलुआ मलाई , खोवा बरफी मिठाई
भरसाई परे तोहरे ओसरिया में ॥
उड़ान -
तोसक तकिया तोहार हमरे लेखे कतवार ।
कबो कहूँ ना जाइब बारादरिया में ॥