झूठ की वेदी पर फिर से सच बलि चढ़ गया
ठगे से हम रहे औऱ वो मुस्कुरा के चल दिया
सादगी सच्चाई न रास आती लोगो को यहाँ
करके चापलूसी वो शख्श आगे को बढ़ गया
लच्छेदार बातों में फंसाते लोग मूर्ख जान के
चालाकी देख नज़रों से हमारी वो गिर गया
कदम कदम पर धोखा ठगी रुसवाई यहाँ
चमचागिरी के दलदल में वो पूरा धंस गया
आइना दिखाते है दूसरों को संवारने के लिए
मगर अपनी सूरत देख अकेले में वो डर गया
बड़ी बड़ी मलकियत संभाले है ख़ुदा समझ के
जमीर बेच के 'साया' सौदा वो पक्का कर गया
सुषमा कुमारी साया
गुरुग्राम